Explainer: बीएमसी चुनाव में गठबंधन को लेकर महायुति और MVA में कहां पहुंची बात? समझें

Explainer: बीएमसी चुनाव में गठबंधन को लेकर महायुति और MVA में कहां पहुंची बात? समझें


देश के सबसे बड़े महानगरपालिका बीएमसी के लिए चुनाव का ऐलान हो गया है. 15 जनवरी को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 16 जनवरी को होगी. बड़ा सवाल है कि ठाकरे की शिवसेना के दबदबे वाली इस महानगरपालिका पर इसबार किसका कब्जा होगा? बीएमसी में इस बार राजनीतिक परिदृश्य के साथ-साथ नक्शा भी बदला हुआ है. 

यहां 236 सीटें हैं, 2017 में 227 सीटें थी. बीएमसी के चुनाव साल 2022 में होना था, लेकिन वार्ड परिसीमन और आरक्षण से जुड़े मुद्दों के कारण इनमें देरी हुई. सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे किए जाने चाहिए.

2017 के चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन कर मेयर पद पर कब्जा जमाया था. शिवसेना को सबसे अधिक 84 सीटें मिली थी. बीजेपी को 82 सीटें मिली थी. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में तब शिवसेना एकजुट थी. वहीं कांग्रेस 31, एनसीपी 9, एमएनएस 7 और एआईएमआईएम दो सीटों पर जीती थी.

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इस बार चुनाव की घोषणा होने होने तक पक्ष-विपक्ष दोनों ही खेमों में गठबंधन के फॉर्मूले पर कोई ऐलान नहीं हुआ है. चुनाव में फ्रेंडली फाइट के साथ गठबंधन होने की उम्मीद है. बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी एकसाथ लड़ने की बात जरूर कह रही है, लेकिन फ्रेंडली फाइट की पूरी संभावना है.

नाराज एकनाथ शिंदे!

दरअसल, पंचायत चुनाव के दौरान उप-मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे बीजेपी के रुख से काफी नाराज दिखे. पार्टी का कहना था कि बीजेपी ने उनके नेताओं को तोड़ा है.

उनकी नाराजगी का आलम ये रहा कि वो कैबिनेट की बैठक में भी नहीं पहुंचे. हालांकि चुनाव बाद बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल किया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिंदे के बीच लंबी बैठक चली और इसके बाद बीजेपी ने ऐलान किया कि लोकल चुनाव हम साथ में लड़ेंगे. वहीं बीजेपी अजित पवार की एनसीपी से नाराज है. एनसीपी ने नवाब मलिक को बीएमसी के चुनाव की कमान दी है, बीजेपी इसका विरोध कर रही है. ऐसे में आने वाला समय बताएगा कि चुनाव में महायुति का क्या समीकरण बनता है.

एनसीपी आज लेगी फैसला

एनसीपी ने मंगलवार (16 दिसंबर) को शाम 4 बजे बैठक बुलाई है. सूत्रों ने बताया कि महायुति के रूप में चुनाव लड़ना है या किसी अन्य विकल्प पर विचार करना है, इस पर आज की बैठक में चर्चा होगी.

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लोकल इलेक्शन से छोटे कार्यकर्ताओं को काफी उम्मीदें रहती है, ऐसे में सभी पार्टियां अधिक से अधिक सीटें अपने पाले में लाना चाहती है. तीनों ही दल की महायुती इस समय महाराष्ट्र सरकार में है. वहीं आरपीआई जैसी छोटी पार्टियां भी महायुती में सीट पाने की उम्मीद कर रही है.

बीएमसी चुनाव के लिए घटक पार्टियों के साथ BJP की पहले दौर की बातचीत आज से शुरू करने जा रही है. BJP आज शिवसेना और RPI आठवले  के साथ बातचीत करेगी.

विपक्षी गठबंधन का हाल

विपक्ष में शिवसेना (उद्धव गुट) और राज ठाकरे की एमएनएस के साथ आने से कांग्रेस के रुख को लेकर असमंजस है. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 सालों बाद साथ आए हैं. दोनों भाईयों के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है. सीट बंटवारे पर बातचीत करने के लिए आज एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के घर शिवसेना नेता संजय राउत पहुंचे हैं.

ठाकरे बंधुओं की एकजुटता ने कांग्रेस को असमंजस में डाल दिया. पार्टी के भीतर अलग-अलग सुर उठ रहे हैं. कुछ का मानना है कि ठाकरे से अलग होकर लड़ना चाहिए. वहीं पार्टी के कुछ नेताओं को यह भी मानना है कि शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के साथ लड़ने से फायदा होगा.

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बातचीत को लेकर संजय राउत ने कहा, ”इस हफ़्ते ठाकरे भाइयों की तरफ से औपचारिक घोषणा हो सकती है. अभी तक मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस हमारे साथ है. मैंने कांग्रेस हाई कमांड से बात की थी, जिन्होंने फैसला लोकल यूनिट पर छोड़ दिया था.” बता दें की कांग्रेस ने आज बीएमसी चुनाव को लेकर बैठक बुलाई है.

शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के रुख का इतंजार है. महायुति में अजित पवार को लेकर और एमवीए में शरद पवार को लेकर असंमजस के बीच पिछले दिनों चाचा-भतीजे की नजदीकी बढ़ी है. पिछले दिनों अजित पवार गुट के प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार के जन्मदिन पार्टी में शामिल हुए. मुलाकात की तस्वीर ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी. 

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पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. इस महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महायुति को शिकस्त दिया, हालांकि विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली.

पिछला चुनाव 21 फरवरी 2017 को  हुआ था और 23 फरवरी को रिजल्ट की घोषणा हुई थी. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को एशिया का सबसे बड़ा महानगरपालिका माना जाता है. पिछले बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए लगभग 75,000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया था. ऐसे में सभी दलों की नजर बीएमसी पर टिकी है.



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