BSP fielded Hindu candidates on Muslim dominated seats in delhi Mayawati message for up

BSP fielded Hindu candidates on Muslim dominated seats in delhi Mayawati message for up


Delhi Assembly Election 2025: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने दिल्ली में अपनी पार्टी को मजबूती देने के लिए 69 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस बार उन्होंने मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू उम्मीदवारों को उतारकर सियासी समीकरणों में बदलाव की रणनीति अपनाई है, जो उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा सियासी संदेश माना जा रहा है.

मायावती ने दिल्ली की उन सीटों पर हिंदू उम्मीदवार उतारे हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है. सीलमपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, मटिया महल, मुस्तफाबाद जैसी सीटों पर 30% से 65% तक मुस्लिम मतदाता हैं. बावजूद इसके, इन सीटों पर बसपा ने हिंदू उम्मीदवार उतारकर सियासी समीकरण को चुनौती दी है.

दिल्ली चुनाव के लिए बसपा की चुनावी रणनीति
दिल्ली में 12% मुस्लिम और 17% दलित वोटर हैं, जो कुल मिलाकर 29% होते हैं. दिल्ली की राजनीति में यह समीकरण हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभाता है. हालांकि, बसपा ने अपने कोर वोटबैंक यानी दलित और अति पिछड़ी जातियों पर ध्यान केंद्रित किया है और मुस्लिम प्रत्याशियों को सीमित रखा है.

मायावती का उत्तर प्रदेश को संदेश
मायावती की इस रणनीति को उत्तर प्रदेश के लिए एक स्पष्ट सियासी संदेश के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने दलितों को साधने की कोशिश की है और अपने कोर वोटबैंक को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. यह कदम उन पर लगे बीजेपी की बी-टीम होने के आरोपों को तोड़ने की कोशिश भी हो सकती है.

बीजेपी के बी-टीम नैरेटिव को तोड़ने का प्लान
मायावती और उनकी पार्टी पर अक्सर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगता रहा है. कांग्रेस से लेकर तमाम दल खुलकर कहती रही है कि मायावती की पार्टी बीजेपी से मिल गई हैं. अक्सर कहा करती है भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए ही बसपा काम करती रही है इस नैरेटिव को तोड़ने के लिए मायावती ने दिल्ली चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू प्रत्याशी उतारने का फैसला किया. इससे वह यह दिखाना चाह रही हैं कि बसपा अब अपने मिशनरी नेताओं और वफादार कार्यकर्ताओं पर ही भरोसा करेगी.

दिल्ली विधानसभा चुनाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मायावती की रणनीति केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है. यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा संदेश है, जहां वह अपनी पार्टी को मजबूत करने और विपक्ष के आरोपों को खारिज करने की कोशिश कर रही हैं. मायावती का यह कदम बसपा की नई दिशा और रणनीति की ओर इशारा करता है.



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