Maharashtra Election Results Haryana Jat voters Maratha voters in Maharashtra not a key to victory results analysis

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Maharashtra Election Results: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की वोटिंग के बाद अब नतीजे सामने आ रहे हैं, शुरुआती रुझानों से ही बीजेपी नीत गठबंधन महायुति को बढ़त मिलती दिख रही थी, जो अब नतीजों में भी तब्दील होती नजर आ रही है. खासतौर पर बीजेपी को महाराष्ट्र में बड़ी जीत मिलती दिख रही है और वो अकेले 120 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है. चुनाव के नतीजों में कई चीजें निकलकर सामने आई हैं, जिन्होंने पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स को भी हैरान किया है. इनमें से एक चीज ओबीसी वोटर्स की तरफ बीजेपी का रुख है, जो राजनीति की दिशा को दूसरी तरफ मोड़ता नजर आ रहा है. यही फैक्टर इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी दिखा था. 

मराठा को छोड़ ओबीसी वोटर्स पहली पसंद
अब तक चुनावी समीकरण साधने में सबसे पहले डॉमिनेट करने वाले समुदाय को देखा जाता था, यानी महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और हरियाणा में जाट वोटर्स पर पार्टियों की नजरें रहती थीं. इन्हें साधने के लिए राजनीतिक दल तमाम तरह की कोशिशें करते थे, वहीं अब बीजेपी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए इस परंपरा को शिफ्ट कर दिया है. अब ट्रेडिशनल वोटर्स की बजाय ओबीसी और दलित वोटर्स को एकजुट करने की कोशिश होती है. 

हरियाणा में ओबीसी-दलित के सहारे पलट दी बाजी
महाराष्ट्र चुनाव के इन नतीजों में ओबीसी फैक्टर जानने के लिए हरियाणा के चुनाव नतीजों को देखना जरूरी है. हरियाणा में जहां कांग्रेस इस ओवर कॉन्फिडेंस में थी कि किसान आंदोलन से लेकर एमएसपी जैसे मुद्दों पर जाट वोटर्स बीजेपी से नाराज हैं और इस बार सत्ता उनकी झोली में ही आएगी, वहीं बीजेपी ने अंदरखाने बड़ा खेल कर दिया. जिसका नतीजा ये रहा कि जिसे कांग्रेस जीत समझकर मुट्ठी में बंद कर रही थी, वो असल में रेत की तरह निकली, यानी कुछ भी हाथ नहीं लगा. 

बीजेपी को ये पता था कि जाट वोटर्स में नाराजगी है, ऐसे में उसने दलितों और ओबीसी को एकजुट करना शुरू कर दिया. आखिर में इस वोट बैंक ने ही बीजेपी को दोबारा सत्ता में काबिज कर दिया. अब महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने लगभग इसी पैटर्न पर काम किया, जिसमें मराठा वोटर्स को मनाने का काम तो किया गया, लेकिन इसके साथ ही पूरा जोर ओबीसी और हिंदू वोटर्स पर दिया. 

महाराष्ट्र में भी काम आया ओबीसी फैक्टर
हरियाणा की तरह बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में भी ओबीसी फैक्टर काफी काम आया है. बीजेपी और आरएसएस का फोकस सबसे ज्यादा दलित और ओबीसी वोटर्स पर था, इन्हें राष्ट्रवाद से लेकर तमाम तरह के मुद्दों से अपनी तरफ खींचने का काम किया गया. आरएसएस ने इसके लिए पूरे महाराष्ट्र में करीब दो हजार बैठकें कीं. इस दौरान मराठा आरक्षण को लेकर नाराज नेताओं को भी मनाने का काम किया गया, जिसका असर चुनाव नतीजों में दिख रहा है. 

मराठवाड़ा भी नहीं संभाल पाया विपक्ष
अब इसे विपक्ष की नाकामी कहा जाए या फिर नेताओं की आपसी रंजिश, लेकिन जहां उसको बढ़त मिलने की बात कही जा रही थी, वहां भी उसे नुकसान झेलना पड़ रहा है. मराठवाड़ा में पांच जिले आते हैं, जिनमें करीब 46 सीटें हैं. यहां उन लोगों की आबादी है जो मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन करते आए हैं. यही वजह है कि एग्जिट पोल में मराठवाड़ा से महाविकास अघाड़ी को ज्यादा सीटें मिलती दिखाई गई थीं. हालांकि नतीजे अलग ही तस्वीर दिखा रहे हैं. कुल मिलाकर उद्धव ठाकरे मराठा वोटर्स को भी पूरी तरह अपनी तरफ खींचने में नाकाम रहे. कुछ सीटों को छोड़ दें तो विदर्भ में भी बीजेपी ने पूरा सूपड़ा साफ कर दिया है. 

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